लाइव पलामू न्यूज: सोमवार को लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान सांसद विष्णु दयाल राम ने पर्यटन मंत्रालय से झारखंड राज्य में जनजातीय पर्यटन और एथनीक टूरिज्म को बढ़ावा देने से संबंधित मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने की प्राथमिक जवाबदेही राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों की है। केन्द्र सरकार जरिये स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजनाओं के तहत उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

उन्होंने कहा कि मैं यह से जानना चाहता हूूं कि 30.44 करोड़ रूपए की राशि झारखंड राज्य को स्वदेश दर्शन योजनाओं के तहत इको सर्किट विकसित करने के लिए आवंटित की गयी थी, क्या वह राशि पूरी तरह से उपयोग में लायी गयी। यदि पूरी तरह से उपयोग में नहीं लायी गयी तो क्या कदम उठाये गए या उठाये जा रहे हैं, जिससे राशि का पूर्ण उपयोग हो और कम उपयोग के क्या कारण है और कठिनाईयां क्या है।

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केन्द्र सरकार के जरिये 1000 होमस्टे स्वदेश दर्शन योजना के तहत पर्यटन क्षमता वाले गांवों में विकसित करने की पहल की गयी है। ऐसे प्रस्तावित 1000 होमस्टे में झारखंड राज्य के लिए कितने प्रस्तावित हैं और उसके लिए कितनी धनराशि आवंटित की गयी है। यदि ऐसा नहीं किया गया है तो उसके कारण क्या है?उपरोक्त प्रश्नों का जवाब देते हुए पर्यटन मंत्री ने कहा कि उनका मंत्रालय अपने निरंतर किए जा रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में संवर्धनात्मक कार्यक्रमों, मेलों और महोत्सवों के आयोजन के लिए राज्य सरकारों की सहायता, प्रदर्शनियों में भागीदारी, बेबसाइटों, सोशल मीडिया आदि पर प्रचार सहित विभिन्न पहलों के माध्यम से झारखंड राज्य में जनजातीय और एथनीक पर्यटन के साथ-साथ देश के विभिन्न पर्यटन गंतव्यों और उत्पादों का संवर्धन करता है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान’ के हिस्से के रूप में पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत जनजातीय होमस्टे विकसित करने की पहल को भी मंजूरी दी है। इस पहल में नए निर्माण के लिए प्रति इकाई पांच लाख रूपए, नवीकरण के लिए तीन लाख रूपये और ग्राम समुदाय की आवश्यकताओं के लिए पांच लाख रूपये की सहायता सहित 1000 होमस्टे का विकास शामिल है।

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