“आइये खुशियां बांटें” अभियान में बुक सेलर्स हुए शामिल, जरूरतमंदों तक लेखन सामग्री देने की पेशकश

गढ़वा : मंगलवार को सदर अनुमंडल में “कॉफ़ी विद एसडीएम” में स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं ने हिस्सा लिया और अपने व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं को विस्तार से रखा। इस दौरान पुस्तक विक्रेताओं ने बताया कि अधिकांश निजी विद्यालय अब स्वयं पुस्तकों, कॉपियों, स्टिकर, प्रैक्टिकल नोटबुक सहित लगभग सभी स्टेशनरी आइटम बेचने लगे हैं।

जिससे स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली पुस्तकें अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेची जाती हैं, जबकि बाजार में दुकानदार वही किताबें छूट देकर उपलब्ध कराते हैं, इसके बावजूद बच्चों और अभिभावकों को विद्यालय से ही उक्त सामग्री खरीदने को मजबूर किया जाता है।

कई विद्यालय ऐसे प्रकाशकों की पुस्तकें मंगाते हैं जिनमें मोनोपॉली होती है, जिसके कारण अभिभावक विवश होकर विद्यालय से ही ऊंचे दाम पर खरीदने को बाध्य होते हैं।
पुस्तक विक्रेताओं ने यह भी कहा कि गढ़वा में बड़ी संख्या में थोक एवं खुदरा पुस्तक व्यवसायी हैं, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है। जब प्रशासनिक स्तर पर उन्हें संवाद के लिए बुलाया गया है। उन्होंने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे उनके वास्तविक मुद्दों को समझने और समाधान की दिशा में ठोस प्रयास संभव होंगे।

एसडीएम संजय कुमार ने पुस्तक विक्रेताओं के कार्य को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि पुस्तक की दुकान ही वह स्थान है जहाँ युवाओं के भविष्य को संवारने वाली सामग्री उपलब्ध होती है। एक स्टेशनरी की दुकान को हमेशा बड़े सम्मान और आदर से देखा जाना चाहिए।

पुस्तकों को बढ़ावा देने की जरूरत :

संजय कुमार ने कहा कि इंटरनेट मीडिया, ई बुक्स और यूट्यूब सामग्री के दौर में किताबों के अस्तित्व को लेकर नई चुनौतियाँ खड़ी हो रही हैं, इसलिए पुस्तकों को सहेजने और बढ़ावा देने के प्रयासों की आवश्यकता और भी अधिक हो जाती है। हालांकि किताबों का स्थान कभी भी इंटरनेट नहीं ले सकता है।

सदस्यों ने रखी समस्याएं, दिये सुझाव :

बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने अपनी व्यक्तिगत समस्याएँ भी रखीं। अधिकांश प्रतिभागियों ने बताया कि शहर में विद्यालयों की छुट्टी के समय जाम लगना एक आम समस्या है। इस पर एसडीएम ने कहा कि उन्हें इस स्थिति की जानकारी है और वे प्रशासन व विद्यालय प्रबंधन के साथ बैठक कर भीड़ एवं जाम की समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।

गरीबों तक नि:शुल्क लेखन सामग्री पहुंचाने में पुस्तक विक्रेता भी निभाएंगे भूमिका

इस दौरान पुस्तक विक्रेताओं ने “आइए खुशियाँ बाँटें” अभियान की सराहना करते हुए शैक्षिक सामग्री के रूप में सहभागिता का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि गर्म कपड़ों के बांटने के इस अभियान के साथ-साथ वे लोग भी जुड़कर कॉपियाँ, किताबें एवं लेखन सामग्री यथाशक्ति उपलब्ध कराना चाहते हैं।

जिससे दूरदराज के बच्चों तक यह सामग्री पहुँचाई जा सके। एसडीएम ने उनकी इस नेक पेशकश की सराहना करते हुए कहा कि यह अभियान समाज की सहभागिता से और अधिक प्रभावी बनेगा।

ये रहे उपस्थित :

इस दौरान सहारा स्टेशनरी, न्यू बिहार बुक डिपो, गुप्ता बुक सेंटर, तिवारी बुक डिपो, श्री स्टेशनरी, आर्या स्टेशनरी सहित कई प्रतिष्ठानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिसमें प्रमुख रूप से गिरिजेश मिश्रा, हर्ष कश्यप, अनिकेत राज, देवानंद गुप्ता, विवेक कश्यप, अरविंद कुमार दुबे, शैलेंद्र कुमार आदि ने अपने विचार रखे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *