बूढ़ा पहाड़ की तलहटी पर बसे तिसिया गांव में विकास की नई शुरुआत

रिपोर्ट : नितेश तिवारी

लाइव पलामू न्यूज/लातेहार : झारखंड के लातेहार जिले के गारू प्रखंड क्षेत्र में स्थित बूढ़ा पहाड़ की तलहटी पर बसा तिसिया गांव कभी नक्सलियों के आतंक का गवाह रहा है। एक समय था जब इस गांव में नक्सली बेखौफ आकर जन अदालत लगाया करते थे और अपने फरमान सुनाते थे। ग्रामीण डर और खौफ के साए में जीवन जीने को मजबूर थे।

लेकिन सरकार के निर्देश पर चलाए गए लगातार और कड़े नक्सल विरोधी अभियानों, तथा पुलिस की कुर्बानियों के बाद अब तिसिया गांव नक्सलियों के चंगुल से पूरी तरह मुक्त हो चुका है। हालात बदल चुके हैं और डर की जगह अब विकास और विश्वास ने ले ली है।

इसी बदले हुए माहौल का प्रमाण उस समय देखने को मिला जब लातेहार के उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता, पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव, उप विकास आयुक्त सैयद रियाज अहमद और एसएसबी के कमांडेंट राजेश सिंह के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम 12 किलोमीटर के दुर्गम रास्ते को पार कर तिसिया गांव पहुंची। खास बात यह रही कि प्रशासन ने कार्यालयों तक सीमित रहने के बजाय सीधे गांव पहुंचकर ग्रामीणों से संवाद किया और वहीं विकास की योजनाएं बनाई।

प्रशासनिक टीम ने गांव में ही चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं और कई जनहित से जुड़े मामलों का मौके पर ही समाधान किया। इस दौरान पेंशन, राशन कार्ड, सड़क, पुल-पुलिया, स्कूल समेत कई बुनियादी मुद्दों पर कार्रवाई की गई। अपने गांव में जिला प्रशासन की पूरी टीम को देखकर ग्रामीण भावविभोर नजर आए और खुलकर अपनी समस्याएं अधिकारियों के सामने रखीं।

ग्रामीणों ने बताया कि पहले गांव में नक्सलियों का बोलबाला था। नक्सली आकर जन अदालत लगाते थे और विरोध करने की किसी में हिम्मत नहीं थी। लाइव पलामू न्यूज, अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। यदि सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण हो जाए तो गांव की आधी समस्याएं स्वतः ही दूर हो जाएंगी। ग्रामीणों ने भरोसा जताया कि प्रशासन के आश्वासन से उन्हें अब विकास की उम्मीद दिखाई दे रही है।

इस मौके पर उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ की तलहटी पर बसे तिसिया गांव का दौरा कर ग्रामीणों से सीधा संवाद किया गया है। लाइव पलामू न्यूज, गांव की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाएगा और आने वाले समय में गांव की दशा और दिशा दोनों बदलेगी।

वहीं पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव ने कहा कि नक्सल प्रभावित रहे इस क्षेत्र में अब प्रशासनिक पकड़ मजबूत हो चुकी है। पूरी टीम गांव पहुंचकर जनहित के मुद्दों पर योजनाएं बना रही है। ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और उन्हें अब किसी भी तरह के डर की जरूरत नहीं है। पुलिस हर कदम पर नजर रखेगी।

कभी नक्सलियों की जन अदालत के लिए पहचाने जाने वाले तिसिया गांव में अब प्रशासन की चौपाल लग रही है। यह बदलाव न केवल सुरक्षा बलों की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विकास और विश्वास के जरिए भय के अंधेरे को पीछे छोड़ा जा सकता है।

 

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