Chaos in the global market : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाये गये टैरिफ के कारण सोमवार को एशियाई बाजारों में भारी गिरावट आयी, जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गयी हैं। जहां सोमवार को ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 ने 6.3 फीसदी की गिरावट के साथ 7,184.70 के स्तर पर आ पहुंचा।
वहीं जापान के निक्केई इंडेक्स में बाजार खुलने के साथ ही 225 अंकों की गिरावट देखी गयी जो कि एक घंटे बाद 7.1 फीसदी गिरकर 31,375.71 पर पहुंच गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी में भी 5.5 फीसदी की गिरावट देखी गई। जो 2,328.52 पर बंद हुआ।
हॉन्ग कॉन्ग में हैंग सेंग इंडेक्स में 9 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी। इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी नैस्डैक में 6 फीसदी की गिरावट आई थी। ग्लोबल मार्केट में आयी इस गिरावट के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिलेगी।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारतीय बाजार में अगर इसी तरह की गिरावट होती है, तो सेंसेक्स 1000 से अधिक अंक गिर सकता है।
इधर विशेषज्ञ जिम क्रेमर ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी बाजारों में 1987 जैसी तबाही संभव है। उन्होंने कहा कि 1987 के ‘ब्लैक मंडे’ के बाद यह सोमवार सबसे खराब हो सकता है। बता दें कि 1987 में Dow Jones में एक दिन में 22.6 फीसदी की गिरावट आयी थी।
क्या है ब्लैक मंडे :-
बता दें कि 19 अक्टूबर 1987, जिसे ‘ब्लैक मंडे’ के नाम से भी जाना जाता है। इसे अमेरिकी शेयर बाजार में तबाही का दिन माना जाता था। इस दिन Dow Jones इंडस्ट्रियल एवरेज में 22.6 फीसदी की भारी गिरावट आयी थी, जो कि एक दिन में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। इस गिरावट का असर विश्वभर के बाजारों पर पड़ा था। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 26% का टैरिफ लगाया है। जबकि अन्य देशों पर 10% आयात शुल्क लागू किया है। ट्रंप के इस कदम के बाद कई देशों ने जवाबी टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। जिसमें चीन ने 34% कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25% का टैरिफ लगाया है।
इस टैरिफ वॉर के कारण व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। बाजार से बड़ी मात्रा में धन निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, जिससे बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है।
ट्रंप के इस टैरिफ निर्णय ने वैश्विक बाजारों में महंगाई की आशंका को बढ़ा दिया है। जिससे आर्थिक मंदी का खतरा गहरा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन टैरिफों के कारण आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों दोनों पर नकारात्मक प्रभाव छोडेंगी।