LIVE PALAMU NEWS DESK : यूनेस्को ने भारत के रोशनी के पर्व दीपावली को आधिकारिक रूप से अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया है। यह घोषणा 2025 की सूची के साथ की गई, जिसमें दुनिया भर की 20 सांस्कृतिक धरोहरों को स्थान मिला है।

उल्लेखनीय है कि यूनेस्को यह सूची दुनिया की उन जीवित परंपराओं, सामाजिक प्रथाओं, त्योहारों, लोककला और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को सुरक्षित रखने के लिए तैयार करता है, जो पीढ़ियों से समाजों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही हैं। दीपावली के अलावा, बांग्लादेश की तांगाइल साड़ी बुनाई कला को भी इस वर्ष की सूची में जगह मिली है।

क्या है यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर :

यूनेस्को के अनुसार, सांस्कृतिक धरोहर केवल स्मारकों और वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वे जीवित परंपराएं जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं-जैसे लोककथाएं, नृत्य, संगीत, त्योहार, सामाजिक रीतियां और पारंपरिक कौशल आदि भी शामिल हैं। यह धरोहर समुदायों की पहचान का हिस्सा होती है और वैश्वीकरण के दौर में सांस्कृतिक विविधता बनाए रखने में अपन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

दीपावली के अलावा, भारत की कई परंपराएं इस प्रतिष्ठित सूची में पहले से शामिल हैं, जिनमें से कोलकाता की दुर्गा पूजा (2021), कुंभ मेला (2017), नौरोज (2016), जंडियाला गुरु (पंजाब) के ठठेरों की धातु कला (2014), मणिपुर का संकीर्तन (2013), लद्दाख की बौद्ध मंत्रोच्चार परंपरा (2012), छऊ नृत्य, कालबेलिया नृत्य और मुदियेट्टू (2010), गढ़वाल का रम्माण पर्व (2009), तथा कुटियाट्टम संस्कृत थिएटर, रामलीला और वैदिक मंत्र (2008) आदि प्रमुख रूप से शामिल है।

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