लाइव पलामू न्यूज/मेदिनीनगर:  झामुमो नेता सन्नी शुक्ला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एक प्रमुख कांग्रेसी नेता के बयान की कड़ी निन्दा की। उन्होंने कहा “ज्ञातव्य है कि पिछले 21 मई को झामुमो पलामू की बैठक डाल्टनगंज हुई थी, जिसमें आम कार्यकर्ताओं ने झामुमो पलामू के अध्यक्ष श्री राजेंद्र प्रसाद सिन्हा जी के नाम को अगले विधानसभा उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया। ये झामुमो पलामू के कार्यकर्ताओं की आंतरिक बैठक थी, जिसमें सदस्यता अभियान और अन्य रणनीति पर चर्चा होनी थी। कार्यकर्ताओं के मन में अपने नेता को ले कर श्रद्धा होती है और ऐसी बातों की चर्चा आम बात है। परंतु झामुमो पार्टी की निजी बैठक को ले कर एक कांग्रेस के नेता का खीझ भरा बयान आना हास्यपद है।

उनके बयान को सुन कर ऐसा लगता है जैसे वो झामुमो के बढ़ते कद को ले कर मानसिक रूप से विचलित हैं। झामुमो पलामू अपनी मेहनत के बल पर मजबूत हुई है, जिलाध्यक्ष श्री सिन्हा की सही सोच, व्यवहार-कुशल नेतृत्व और सबों को लेकर चलने की वजह से ही हजारों लोग झामुमो में शामिल हुए हैं। इसे देख कर हाथ पर हाथ धरे बैठे नेता की जड़ें हिलना स्वाभाविक है। उन्हे ये सोचना चाहिए कि झामुमो की मजबूती कि वजह से ही महागठबंधन का खाता पलामू में खुल पाएगा। 5 में से एक भी सीट गठबंधन के पास नहीं आना नेताजी की विफलता दिखलाती है। नेताजी से आग्रह है कि घबराने के बजाय, इस पर ध्यान दें कि पलामू में महागठबंधन कैसे मजबूत हो और आने वाले वक्त में कैसे हमारे प्रत्याशी जीत कर विधानसभा जा पाएं। झामुमो ने महागठबंधन के प्रत्याशी को हर तरीके से हमेशा मदद किया है, चुनाव के वक्त भी और उसके बाद भी। झामुमो हमेशा एकजुट रही है और हमारे यहां कोई गुटबाजी नहीं है।

बौखलाए नेताजी कुशल नेतृत्व करने का सलीका हमारे जिलाध्यक्ष जी से सीख सकते हैं। झामुमो गठबंधन धर्म को निभाना जानती है, बीस सूत्री उपाध्यक्ष सहित लगभग प्रखंडों में बीस सूत्री अध्यक्ष गठबंधन साथियों को ही दिया गया है। परन्तु बयानवीर नेताजी पिछले हफ्ते माननीय पलामू प्रभारी मंत्री जोबा मांझी जी के कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हुए थे, जबकि कार्यक्रम की कुर्सी पर उनका नाम तक लिखा हुआ था, लेकिन उन्होंने उसमें भाग लेना तक मुनासिब नहीं समझा। ऐसे बयान देने के जगह विकास कार्यों को और जनता को समय देते तो ज्यादा उचित होता। पलामू कांग्रेस जो कई खेमों में बंटी है, पहले उसे जोड़ने पर ध्यान दें। आखिर ये कैसी बौखलाहट है जो ‘ तोड़ने ‘ की बात करती है।”

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